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नया मार्जिन सेबी नियम सितंबर 2020

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हेलो दोस्तों आज हम बात करने वाले हैं कि नया मार्जिन सेबी नियम सितंबर 2020 में मार्जिन को लेकर एक नया नियम आया हुआ है यह नियम क्या है और यह कैसे काम करेगा तो आइए हम समझते हैं-

                         शेयर बाजार में 1 सितंबर से लेकर आम निवेशकों के लिए नियम बदलने वाले हैं अब वह ब्रोकर की ओर से मिलने वाली मार्जिन का लाभ नहीं उठा सकेंगे जितना पैसा वह अब फ्रंट मार्जिन के तौर पर ब्रोकर को देंगे उतने के ही शेयर खरीद सकेंगे इसे लेकर कई शेयर ब्रोकर अंकित हैं कि वॉल्यूम नीचे आ जाएगा आइए समझते हैं क्या है या नया नियम और आपकी ट्रेडिंग को किस तरह प्रभावित करेगा 


मार्जिन क्या है?- What is Margin Rules?


शेयर मार्किट में मार्जिन शब्द का इस्तेमाल बहुत ही ज्यादा किया जाता है मार्जिन वह न्यूनतम राशि होती है जो ब्रोकर निवेशक को  ट्रेड करने से पहले क्रेडिट स्कोर अपफ्रंट मार्जिन देता है .मार्जिन एक निवेश खरीदने के लिए ब्रोकरेज फर्म से उधार लिया गया धन है। यह एक निवेशक के खाते में रखी गई प्रतिभूतियों के कुल मूल्य और ब्रोकर की ऋण राशि के बीच का अंतर है। मार्जिन पर खरीदना प्रतिभूतियों को खरीदने के लिए पैसे उधार लेने का कार्य है। अभ्यास में एक संपत्ति खरीदना शामिल है जहां ख़रीदार संपत्ति के मूल्य का केवल एक प्रतिशत का भुगतान करता है और बैंक या ब्रोकर से बाकी उधार लेता है। दलाल एक ऋणदाता के रूप में कार्य करता है और निवेशक के खाते में प्रतिभूतियां संपार्श्विक के रूप में कार्य करती हैं।


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उदाहरण -



उदाहरण के तौर पर यदि हम बात करें तो मार्जिन नियम वह नियम है जो ब्रोकर से उधार धन लिया जाता है  यहां धन ब्रोकर आपको डिजिटल माध्यम से आपको देता है जैसे कि मान लीजिए आपके डीमैट अकाउंट में ₹10000 हैं तो आप केवल 10000 के ही शेयर से खरीद पाएंगे लेकिन यदि आप मार्जिन लेते हैं तो ब्रोकर आपके इन्वेस्टमेंट का 10 से लेकर 20 गुना ,30 गुना मार्जिन देता है जो आप इंटरडे (only day) के लिए ट्रेड कर सकते हैं मान लीजिये आपके डीमेट अकाउंट में ₹10000 ही थे लेकिन हमें शेयर खरीदने के लिए पैसे की कमी पड़ रही थी तो ब्रोकर आपको ₹10000 का 20 गुना ₹200000 तक( Interaday Trade ) ट्रेड करने का अनुमति देता है  इसे ही हम मार्जिन या मार्जिन मनी कहते है 




अब क्या है मार्जिन लेने की प्रक्रिया?

मार्जिन दो प्रकार की होती है-

1 कैश मार्जिन-
 यानी अपने जितना पैसा आपके ब्रोकर को दिया है उसमें कितना सर प्लस है उतनी का ही ट्रेडिंग आप कर सकते हैं
2 स्टॉक मार्जिन- 

इस प्रक्रिया में ब्रोकरेज हाउस आपके डिमैट अकाउंट से स्टॉक्स अपने अकाउंट में ट्रांसफर करता है और क्लीयरिंग के लिए प्लेज मार्क हो जाती है
इस सिस्टम में यदि कैश मार्जिन के ऊपर ट्रेडिंग में कोई नुकसान होता है तो क्लीयरिंगहाउस प्लेज मार्क के लिए स्टाफ को बेचकर राशि वसूल कर सकता है

सिस्टम किस तरह काम करेगा?

सेबी ने मार्जिन ट्रेडिंग को नए सिरे से तय किया है अब तक प्ले सिस्टम को निवेशक की भूमिका कम और ब्रोकरेज हाउस की ज्यादा होती थी वह ही कई सारे काम निवेशक की ओर से कर लेते थे नए सिस्टम के अंतर्गत शेयर स्टॉक आपके डीमैट अकाउंट में ही रहेंगे और वहीं पर क्लीयरिंगहाउस प्लेज़ मार्क कर देगा इससे ब्रोकर के अकाउंट में स्टॉक नहीं जाएंगे  और मार्जिन तय करना आपके अधिकार में रहेगा
       प्लेज़ मार्क  ब्रोकर के फेवर में मार्क हो जाएगी ब्रोकर को अलग डिमैट अकाउंट खोलना होगा (टीऍम- सीऍम)  यानी ट्रेडिंग मेंबर फीलिंग मेंबर
सब ब्रोकर को इनसिक्योरिटी को केल्विन कारपोरेशन के फेवर में रिप्लेस करना होगा तब आपके खाते में अतिरिक्त मार्जिन मिल सकेगी
यदि मार्जिन में ₹100000 से कम का सफल रहता है तो 0.5% पेनल्टी लगेगी इसी तरह ₹100000 से अधिक के शार्ट फॉल पर 1%  की पेनल्टी लगेगी यदि लगातार ३  दिन मार्जिन सफल रहता है तो अब महीने में 5 दिन सफल रहता है तो पेनाल्टी 5 परसेंट हो जाएगी

(बीटी-एसटी) आज खरीदो -कल बेचो का क्या हाल होगा?

शेयर मार्केट में (बीटी-एसटी- Buy Today And Sell Tomorrow ) का प्रचलित भी बहुत ज्यादा है यहां पर लोग आज  शेयर खरीदते हैं और १ दिन होल्ड  पर रखकर कल (आने वाला दिन )बेच देते हैं जिसे हम (बीटी-एसटी) कहते हैं  ये नियम भी  बदलने वाला है यदि आप अगले ही दिन आपको स्टॉक बेचना  है तो आपको (वीआर + ईएलएम ) मार्जिन  चाहिए होगी यदि ₹100000 का रिलायंस स्टॉक आपने आज खरीदा आपको उसे बेचने के लिए ₹22000 की मार्जिन कल आपके अकाउंट में रखनी होगी लेकिन ब्रोकर  ने इसका भी रास्ता निकाला है यदि आपने आज कोई शेयर खरीदा और उसका पूरा भुगतान ब्रोकर को किया है तो भी ब्रोकर इस चीज को (वीआर + ईएलएम् ) ही चुक आएगा इससे आपके पास अगले दिन उसी स्टोक्स को बेचने के लिए पर्याप्त मार्जिन होगा

उदाहरण के लिए हम बात करें तो यदि आपके पास ₹100000 है और आपने रिलायंस का शेयर खरीदा ब्रोकर (वीआर + ईएलएम )के तौर पर ₹22000 ब्लॉक करेगा और रिपोर्ट करेगा इस तरह अगले दिन ₹100000 का रिलायंस बेचने के लिए बचे हुए ₹78000 से आपको मार्जिन मिल जाएगी और (बीटीएसटी) ट्रेडर्स की अनुमति देने के लिए कुछ ब्रोकर्स ने यहां रास्ता निकाला है कि यह उन्हीं स्टॉप्स का पर उपलब्ध है जिन पर (वीआर + ईएलएम ) 50%  से कम है क्योंकि टॉप 1500 स्टॉक्स की (वीआर + ईएलएम ) 50% से कम है इस वजह से बीटीएसटी संभव हो सकेगा

इसका निवेशकों को क्या फायदा होगा ?

१.  सेबी को नया नियम लाना पड़ा क्योंकि प्लेज़  किए जाने वाले स्टाफ के ट्रांसफर आफ टाइटल ओनरशिप को लेकर दिक्कतें थी कुछ ब्रोकर इसका बहुत ही दुरुपयोग किया  

२.चुकी स्टॉक्स निवेशक की डिबेट खाते में ही रहेंगे ब्रोकर इन सिक्योरिटी या  का दुरुपयोग नहीं कर सकेगा एक क्लाइंट के स्टॉक्स को प्लेज़  कर दूसरे क्लाइंट की मार्जिन बढ़ाना उसके लिए संभव नहीं होगा 

३. मौजूदा प्लाज़े  सिस्टम में स्टॉक ब्रोकर के कॉलेटरल अकाउंट में होते थे इसलिए उस पर मिलने वाले डिविडेंड ,बोनस, राइट्स आदि का लाभ ब्रोकर  उठा लेता था अब ऐसा नहीं होगा यह डायरेक्टली स्टॉक्स होल्डर को ही मिलेगा
सभी पर प्लीज की अनुमति होगी क्योंकि ब्रोकर को  एक्सचेंज से अनुमति होने के बाद भी कई सिक्योरिटी का पर प्लीज स्वीकार नहीं करते करते थे


निवेशकों को क्या नुकसान होगा?


भारत में आम तौर पर स्टोक्स को सेटलमेंट में 2 दिन लगते हैं यदि आप स्टॉक खरीदते हैं तो आपके डिमैट अकाउंट में उसे आने में 2 दिन लग जाते हैं जिसे हम (T+2 days)  कहते हैं इसी तरह स्टॉक्स बेचने पर उसका क्रेडिट मनी आपके अकाउंट में 2 दिन लग जाते हैं

 आपने ₹100000 के शेयर बेचे और उसी दिन कुछ और खरीदना चाहते हैं तो अब  नहीं खरीद सकेंगे आपको प्लीज करना होगा और मार्जिन लेनी होगी अब तक ब्रोकर किसी बिक्री पर  मार्जिन  दे देते थे जिससे अभी उसी दिन दूसरा शेयर खरीदा जा सकता था लेकिन यहां प्रक्रिया अब बिल्कुल भी संभव नहीं

 नई व्यवस्था में 9 सेंटेंस की व्यवस्था खत्म हो जाएगी इस वजह से आपको बेचने पर उसका पैसा क्रेडिट होने तक इंतजार करना होगा उसके बाद ही आप कोई दूसरा शेयर खरीद पाएंगे अन्यथा आपको अपने अकाउंट में शेयर खरीदने के लिए मार्जिन जुटाने होगी

 ब्रोकिंग हाउस नए सिस्टम का क्यों विरोध कर रहे हैं?


 ब्रोकरेज हाउसेज को चिंता है कैश और इक्विटी  सिग्मेंट में मार्केट और उनके खुद के टर्नओवर कब होने की उन्हें लग रहा है कि डेली  टर्नओवर 20 से लेकर 30% कम हो जाएगी क्योंकि यहां पर क्योंकि यहां पर उन्हें इंट्राडे ट्रेडिंग की मार्जिन नहीं मिल पाएगा प्लांट्स को अपने अकाउंट में हायर मार्जिन बनाकर रखनी होगी और इससे उनके रिटर्न ऑन इन्वेस्टमेंट पर भी असर पड़ेगा उनकी रिस्क लेने की क्षमता भी कम हो जाएगी इस बदलाव में न केवल ब्रोकर का बल्कि सरकार को भी नुकसान है सिक्योरिटी ट्रेन सनटेक्स एसटीडी के तौर पर सरकार को मिलने वाला राजस्व कम हो जाएगा 






मुझे उम्मीद है की आपको मेरी यह लेख नया मार्जिन सेबी नियम सितंबर 2020 जरुर पसंद आई होगी. मेरी हमेशा से यही कोशिश रहती है की readers को Money earning के विषय में hintme की तरफ से पूरी जानकारी प्रदान की जाये जिससे उन्हें किसी दुसरे sites या internet में उस article के सन्दर्भ में खोजने की जरुरत ही नहीं है. 



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Bheem Singh

I'm Bheem Singh Ceo of Www.Hintme.in. I'm a professional blogger and writter, like to share all knowledge about stock market and business ideas

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